अफगानिस्तान में सोमवार देर रात आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। रिएक्टर स्केल पर 6.0 तीव्रता वाले इस भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में बताया जा रहा है। तेज झटकों ने सैकड़ों घरों को मलबे में बदल दिया। शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार अब तक 622 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 1500 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं।
अफगानिस्तान में सबसे ज्यादा तबाही
स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, सबसे ज्यादा नुकसान पक्तिका और खोस्त प्रांत में हुआ है। गांवों के कई मकान रातों-रात जमींदोज़ हो गए। राहत एवं बचाव दल मलबे में दबे लोगों को निकालने में जुटे हैं। अस्पतालों में घायल लोगों की भीड़ बढ़ने से स्वास्थ्य सेवाएं चरमराने लगी हैं।
पड़ोसी देशों तक महसूस हुए झटके
भूकंप के तेज झटके सिर्फ अफगानिस्तान तक ही सीमित नहीं रहे। पाकिस्तान, ईरान और भारत तक धरती डोलती महसूस हुई। दिल्ली-एनसीआर, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में देर रात लोग घबराकर घरों से बाहर निकल आए। हालांकि भारत में किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है।
राहत कार्य में मुश्किलें
अफगानिस्तान के आपदा प्रबंधन मंत्रालय ने कहा है कि ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में सड़कों के टूटने और बिजली आपूर्ति बाधित होने के कारण राहत कार्य में भारी कठिनाई हो रही है। संयुक्त राष्ट्र और कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने अफगानिस्तान को मदद का आश्वासन दिया है।
पिछली तबाही की यादें ताज़ा
गौरतलब है कि अफगानिस्तान भूकंप-प्रवण इलाकों में से एक है। इससे पहले भी कई बार यहां बड़े पैमाने पर भूकंप से जान-माल का नुकसान हो चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार भी तबाही लंबे समय तक असर छोड़ सकती है क्योंकि प्रभावित इलाकों में ज़्यादातर कच्चे मकान थे।
भारत सरकार ने जताई चिंता
भारत सरकार ने अफगानिस्तान में हुए इस हादसे पर गहरी संवेदना व्यक्त की है। विदेश मंत्रालय की ओर से बयान जारी कर कहा गया कि भारत, अफगानिस्तान की जनता के साथ खड़ा है और हर संभव मदद देने को तैयार है।
👉 यह भूकंप एक बार फिर याद दिलाता है कि प्राकृतिक आपदाओं के सामने इंसान कितना असहाय हो जाता है।