झारखंड में भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (BBNL) के अंतर्गत काम करने वाले कर्मचारियों को पिछले कई महीनों से वेतन नहीं मिला है, जिससे वे आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। जानकारी के अनुसार, ये कर्मचारी Pratap Technocrats Private Limited के तहत BBNL की विभिन्न परियोजनाओं में कार्यरत हैं, लेकिन जनवरी 2025 से अब तक उनकी तनख्वाह नहीं दी गई है।
📡 BBNL का काम, ठेका कंपनी की जिम्मेदारी
झारखंड में BBNL की योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करने की ज़िम्मेदारी ठेका प्रणाली के तहत Pratap Technocrats को दी गई है। कंपनी के अधीन सैकड़ों कर्मचारी दूर-दराज़ के इलाकों में ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क बिछाने, रखरखाव, कनेक्टिविटी और सर्वे जैसे कार्य कर रहे हैं।
इन कर्मचारियों का आरोप है कि उन्होंने ठंडी, गर्मी और बरसात में भी लगातार काम किया, लेकिन इसके बावजूद उन्हें पिछले 6 से 7 महीनों से वेतन नहीं दिया गया। कई बार शिकायत करने के बावजूद न तो कंपनी की ओर से कोई संतोषजनक जवाब मिला और न ही BBNL अधिकारियों से कोई मदद मिली।
💬 कर्मचारियों का दर्द: “EMI कट रही है, घर चलाना मुश्किल हो गया”
कर्मचारियों ने बताया कि वे 10 से 15 हजार रुपए मासिक वेतन पर काम कर रहे हैं। इतने कम वेतन में भी अगर भुगतान नहीं हो, तो परिवार चलाना बेहद कठिन हो जाता है।
“बैंक से लोन लेकर बाइक ली थी, अब EMI भरना मुश्किल हो गया है। स्कूल की फीस देने की हालत नहीं है। BBNL के नाम पर काम हो रहा है, लेकिन कंपनी और विभाग दोनों ही चुप हैं।” – एक कर्मचारी ने कहा।
⚠️ न ठेका कंपनी सुन रही, न विभाग दे रहा जवाब
Pratap Technocrats Pvt. Ltd. से जुड़े अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी। वहीं दूसरी ओर, BBNL विभागीय अधिकारियों ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि “वेतन भुगतान का ज़िम्मा एजेंसी (Pratap Technocrats) का है।”
इस दोतरफा चुप्पी से कर्मचारी न घर के रहे न घाट के। न तो उन्हें उनका मेहनताना मिल रहा है और न ही कोई भविष्य की स्पष्टता दिखाई दे रही है।
🧾 मांग: जल्द हो भुगतान और स्थायी समाधान
कर्मचारियों ने सरकार, BBNL और ठेका कंपनी से मांग की है कि:
- वेतन का तत्काल भुगतान किया जाए
- भविष्य में देरी न हो, इसके लिए नियत तिथि पर भुगतान सुनिश्चित किया जाए
- इस तरह की ठेका व्यवस्था पर पुनर्विचार कर कर्मचारियों को सुरक्षा दी जाए
🛑 निष्कर्ष: मेहनत का हक देना जरूरी है
जहां एक ओर देश भर में डिजिटल इंडिया और ब्रॉडबैंड विस्तार की बातें हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर इन योजनाओं को ज़मीन पर उतारने वाले कर्मियों को उनका हक नहीं मिल रहा। यह न केवल अनुचित है, बल्कि सरकार की योजनाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा करता है।




