उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने टाटा मोटर्स और उसके कोटद्वार डीलर के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है। आयोग ने जिला आयोग का वह आदेश खारिज कर दिया, जिसमें कंपनी और डीलर को वाहन बदलकर पैसे लौटाने का निर्देश दिया गया था। इस फैसले से कंपनी को बड़ी राहत मिली है।
क्या है पूरा मामला?
- पौड़ी निवासी अनूप कुमार खर्कवाल ने टाटा विंगर मैक्स वैन खरीदने के बाद तकनीकी खराबी का आरोप लगाया था।
- उन्होंने जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई।
- जिला आयोग ने उनके पक्ष में निर्णय देते हुए कंपनी को नया वाहन देने और शेष 6.40 लाख रुपये ब्याज समेत लौटाने का आदेश दिया।
- इस फैसले के खिलाफ टाटा मोटर्स और डीलर ने राज्य आयोग में अपील की।
राज्य आयोग का तर्क
उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग ने अपने फैसले में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं का जिक्र किया:
1. व्यावसायिक उपयोग साबित
वाहन का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा था। ऐसे में शिकायतकर्ता “उपभोक्ता” की श्रेणी में नहीं आते।
2. लंबी दूरी तय की गई
वाहन ने शिकायत के समय तक 54,830 किलोमीटर की दूरी तय की थी। यह सामान्य तकनीकी उपयोग का संकेत है।
3. लापरवाही और देखभाल में कमी
आयोग ने माना कि खराबी कंपनी के निर्माण दोष की वजह से नहीं, बल्कि वाहन की देखभाल और उपयोग में लापरवाही के कारण हुई।
4. जिला आयोग का आदेश निरस्त
आयोग ने कहा कि जिला आयोग का फैसला विधिक और प्रमाणिक दृष्टि से सही नहीं था।
आयोग का अंतिम निर्णय
- टाटा मोटर्स और डीलर के पक्ष में फैसला
- जिला आयोग का आदेश रद्द
- शिकायतकर्ता को उपभोक्ता न मानते हुए राहत से वंचित किया गया।
निचोड़
यह फैसला ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए मिसाल है। आयोग ने साफ किया कि अगर वाहन व्यावसायिक उपयोग में लाया जा रहा है तो शिकायतकर्ता को उपभोक्ता का दर्जा नहीं मिलेगा।




