पश्चिम बंगाल में एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है, जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। जांच एजेंसियों ने ऐसे संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है जो फर्जी पहचान पत्रों के ज़रिए करीब 400 बांग्लादेशी नागरिकों को भारतीय पासपोर्ट दिलवा चुका था। इस रैकेट में विदेशी और स्थानीय दोनों तरह के आरोपी शामिल हैं, जिनमें एक पाकिस्तानी नागरिक और उसका सहयोगी भी मुख्य भूमिका में बताए जा रहे हैं।
कैसे चलता था यह रैकेट?
जांच में पता चला है कि आरोपी सबसे पहले फर्जी दस्तावेज़ों के सहारे आधार कार्ड और पैन कार्ड बनवाते थे। इसके बाद वे लोगों के नाम मतदाता सूची में शामिल करवाते और नकली भारतीय पते तैयार करते थे। इन फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर पासपोर्ट के लिए आवेदन किया जाता था।
सूत्रों के अनुसार, पासपोर्ट कार्यालय के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से यह प्रक्रिया आसानी से पूरी की जाती थी। हर पासपोर्ट के लिए आरोपियों द्वारा लगभग 5 लाख रुपये वसूले जाते थे, और अब तक इस पूरे नेटवर्क में करीब 2 करोड़ रुपये से अधिक का लेन-देन हुआ है।
डाक विभाग की भूमिका पर भी शक
जांच एजेंसियों ने खुलासा किया है कि कई मामलों में पासपोर्ट डाकघर से चोरी-छिपे प्राप्त किए गए, जिसमें कुछ डाककर्मियों की संलिप्तता भी सामने आई है। अब इस मामले में कई सरकारी कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है, और रैकेट के संचालकों के खिलाफ गंभीर आपराधिक धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर सवाल
यह मामला सिर्फ दस्तावेज़ी फर्जीवाड़ा नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक गंभीर खतरा बन सकता है। जब विदेशी नागरिकों को इतनी आसानी से भारतीय पहचान पत्र और पासपोर्ट मिल सकते हैं, तो घुसपैठ, आतंकवाद और मानव तस्करी जैसी गतिविधियों के बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है।
इस घटना ने सरकारी प्रणालियों—आधार, पैन, मतदाता सूची और पासपोर्ट कार्यालयों—की विश्वसनीयता पर भी बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है।
अब आगे क्या?
विशेष जांच दल (SIT) ने इस नेटवर्क से जुड़े मुख्य संचालकों की पहचान कर ली है और देश के कई राज्यों में तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। वहीं, केंद्र सरकार से अपेक्षा की जा रही है कि वह पासपोर्ट जारी करने और नागरिक पहचान प्रणालियों की सख्त ऑडिटिंग कराए।
इसके साथ ही, नागरिकों से भी अपील की गई है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि या फर्जी दस्तावेज़ तैयार करने की जानकारी मिलने पर तुरंत स्थानीय पुलिस या प्रशासन को सूचित करें।






